बंद तिजोरियों को सोने और रुपयों की
चमक तो मिलती जा रही है
पर धरती की हरियाली
मिटती जा रही है
अंधेरी तिजोरी को चमकाते हुए
इंसान को अंधा बना दिया है
प्यार को व्यापार
और यारी को बेगार बना दिया है
हर रिश्ते की कीमत
पैसे में आंकी जा रही है
अंधे होकर पकडा है पत्थर
उसे हाथी बता रहे हैं
गरीब को बदनसीब और
और छोटे को अजीब बता रहे हैं
दौलत से ऐसी दोस्ती कर ली है की
इस बात की परवाह नहीं कि
इंसान के बीच दुश्मनी बढ़ती जा रही है
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
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3 वर्ष पहले
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