मैंने उनको बता दिया है कि एलेक्सा की टाप साईट में जाकर वह blogger.com पर क्लिक करें और site widgest में जाकर एक खाने में इस ब्लाग http://anantraj.blogspot.com का नाम टाईप करें और और फिर नीचे देखें तो उनका पता लग जायेगा कि इस ब्लाग की विश्व में आठवीं वरीयता है फिर मैंने एक दूसरी भी बेवसाईट का प्रमाण पत्र साईड बार में लगा दिया है।
दरअसल अलेक्सा की टाप साईट पर जो बेवसाईट हैं वह अपने पीछे छिपी बेवसाईटों का भी प्रतिनिधित्व करती है। अलेक्सा में उन्हीं दस वेवसाईटों का जानकारी देने के लिये भुगतान लेने की व्यवस्था है। अलबत्ता उसने अपना प्रमाण पत्र ब्लाग स्वामी को ले जाने की इजाजत दे रखी है। चूंकि इस लेखक को अपने ब्लाग से कोई आय नहीं है इसलिये उसकी जरूरत नहीं है। यह जानकारी तो स्वतंत्र मौलिक लेखकों के साथ बांटी है-इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि यह ब्लाग आठवीं वरीयता प्राप्त है। जहां तक इसके हिंदी होने का सवाल है तो हिंदी लेखक होने पर शर्मिंदगी होने की जरूरत नहीं है। दिसम्बर 2007 से सक्रिय होने के बाद इस अंतर्जाल पर बहुत कुछ समझ में आ रहा है। कोई हिंदी वेबसाईट सौ नंबर की रैंक में नहीं है-इस तरह के दावे इस लेखक को प्रभावित नहीं करते। जिन दस साईटों को सामने अलेक्सा दिखा रहा है उनको तो कोई पीट ही नहीं सकता क्योंकि वह तो अंतर्जाल का आधार स्तंभ हैं। यह हिट या फ्लाप का खेल तो उनके उपभागों का है जिसमें ब्लागर काम का एक छोटा हिस्सा यह ब्लाग/पत्रिका भी है। यही कारण है कि उस ब्लागर काम के पीछे इसको स्थान मिला हुआ है अगर भुगतान किया जाये तो इसी ब्लाग का नाम मिलेगा जैसे कि दूसरी वेबसाईट ने दिखाया है।
बहरहाल अब इस बहस को अब अन्य ब्लाग/पत्रिकाओं पर जारी रखेंगे। यह और चिंतन ब्लाग हमारे ऐसे ब्लाग हैं जो सर्वाधिक प्रिय हैं। हां, अब कोई अनंत शब्दयोग की इससे अलग वास्तविक रैंकिंग प्रमाणित करे तो अच्छा रहेगा। सबसे अधिक तो यह लेखक आभारी रहेगा क्योंकि किसी प्रकार का भ्रम तंग करता है और सच का सामना करने का उसमें साहस है। बहरहाल आठवीं वरीयता प्राप्त इस ब्लाग में नियमित रूप से लिखने का प्रयास होगा और जिसमें इस ब्लाग की प्रशंसा में कुछ नहीं लिखा जायेगा। बहरहाल इसके पिछले आलेखों में पहले ही सब स्पष्ट कर दिया गया है उनको पढ़कर ही अपनी राय कायम करें तो अधिक सुविधाजनक रहेगा।
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यह आलेख मूल रूप से इस ब्लाग ‘अनंत शब्दयोग’पर लिखा गया है । इसके अन्य कहीं प्रकाशन के लिये अनुमति नहीं हैं। इस लेखक के अन्य ब्लाग।
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2.दीपक भारतदीप की हिंदी-पत्रिका
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप शब्दज्ञान-पत्रिका
6 टिप्पणियां:
इस ब्लॉग की अलेक्सा में रेंक चेक करने पर वहां कोई रेंक उपलब्ध नहीं हो सकी | आप जिस रेंक ८ को अपने ब्लॉग की रेंक समझ रहे है दरअसल अलेक्सा ८ रेंक आपके चिट्ठे की नहीं ब्लोगर की है | कई बार रेंक चेक करने वाले टूल सब डोमेन की रेंक बताने के बजाय सिर्फ मूल डोमेन की ही रेंक बताते है यहाँ आपके चिट्ठे का डोमेन सब डोमेन है मूल डोमेन तो ब्लोगर है अतः यह ८ रेंक आपकी नहीं ब्लोगर की है |
वैसे मुझे बहुत ख़ुशी होती जब किसी हिंदी चिट्ठे की अलेक्सा रेंक ८००० भी होती | ८ तो बहुत दूर की चीज है इसे तो ब्लोगर . कॉम भी अभी छू पाया है |
जो भी हो, आप विश्व स्तरीय लेखन तो कर ही रहे हैं और विश्व के कोने कोने में आपके पाठक हैं जो नित प्रथम कर्म के तौर आपको पढ़ते हैं जिनमें मैं भी शामिल हूँ. आप तो जानते ही हैं. अलेक्सा ८ कहे न कहे, आप तो धार बनाये रखिये. आपका समर्पित लेखन प्रशंसनीय है.
दीपक जी आप एक बडे साहित्यकार हैं आप क्यों इन छोटी 2 बातों मे उलझते हैं जो है सो रहेगा ही आपके बलोग और पत्रिका मुझे लगता है कि सब से आगे हैं शुभकामनायें
हमें तो एलेक्सा रेंक ८ पहुँचने में कुछ जन्मों की ही दूरी तय करना शेष है:
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--आपको अनेक बधाई. मेहनत का फल मीठा होता है.
दरअसल लोग मेरी बात समझ नहीं रहे। यह दोनों प्रमाणपत्र मुझे अंतर्जाल से ही मिल रहे हैं। मुद्दा यह नहीं है कि अनंत शब्दयोग की कौनसी रैकिंग हैं बल्कि उसके लिये यह प्रमाणपत्र क्यों सामने आ रहे हैं? यह कोई दावा नहीं है कि हम दुनियां के सर्वश्रेष्ठ ब्लाग लेखक हैं। जिस दिन यह सोचा लिखना ही बंद हो जायेगा। हां, मैं भी कह रहा हूं कि यह इतनी ऊंची वरीयता इस ब्लाग की नहीं हो सकती है। पहले ही लेख में यह मैंने स्पष्ट कर दिया पर कोई यह बताये कि आखिर यह दोनों प्रमाणपत्र किस तरह बन जाते हैं। मेरा सर्वश्रेष्ठ ब्लाग शब्द लेख सारथी की रैकिंग हैं 8150877। उसी पर सबसे अधिक पाठ लिखता हूं। अनंत शब्दयोग की रैकिंग होना चाहिये एक करोड़ से ऊपर। मैं समझ कुछ नहीं रहा बस दिखा रहा हूं यह प्रमाण पत्र! अब मैं इस विषय पर इस ब्लाग पर नहीं लिखूंगा बल्कि अन्य ब्लाग पर विचार होगा।
दीपक भारतदीप
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