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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

11/03/2007

कौटिल्य का अर्थशास्त्र:अपने से हीन व्यक्ति से संधि या संबंध न करें

१. अपने से हीन पुरुष से कभी संधि या संबंध न करे।इसमें कोई संदेह नहीं है कि उसके साथ विश्वास पूर्वक बातचीत करने से वह अवसर पाकर अवश्य आक्रमण करेगा।
२.बलवान के साथ संधि करे तथा उसके ह्रदय में प्रवेश कर प्रतापी पुरुष का इस प्रकार अनुगमन करे जिससे उसका विश्वास प्राप्त हो जाये।
लेखक का अभिमत- जब हम कौटिल्य के अर्थशास्त्र को पढ़ते हैं, तो ऐसा लगता है कि वह केवल राजाओं के लिए लिखा गया है, पर हम यह देखें कि हर व्यक्ति अपने घर का राजा ही होता है और उसे अपने घर-परिवार की रक्षा उसी तरह करना पड़ती है जैसे राजा को अपने राज्य की करनी पड़ती है। जैसे राजा के लिए कहा जाता है कि उसे अपनी प्रजा को अपनी संतान की तरह पालन करना चाहिऐ उसी तरह मेरा मानना है कि अपने परिवार की रक्षा एक राजा की तरह करना चाहिए। इसलिए कौटिल्य ने जो सिद्धांत राजा के लिए बनाए हैं उसका अनुसरण आम आदमी को भी करना चाहिऐ। इसी परिप्रेक्ष्य में एक और बात जिस समय कौटिल्य ने जब अपनी यह रचना की थी उस समय महिलाओं की समाज में परिवार के बाहर कोई भूमिका नहीं थी पर आज समय बदल गया है और वह भी कहीं न कही साम्राज्ञी की भूमिका में होती हैं अत: उन्हें भी इसका अध्ययन करना चाहिऐ। वह कई जगह पुरुषों जैसे काम कर रहीं है और उन्हें भी एक राजा की तरह अपने कार्य के लिए रणनीति बनाने, उनको अमल में लाने के साथ अपने सार्वजनिक कार्यों के संधि और विग्रह के सिद्धांतों पर विचार करना होता है अत: कौटिल्य का अर्थशास्त्र उनके लिए उपयोगी हो सकता है। हमारे समाज का महत्त्व इसलिए अधिक है कि हम समय के साथ बदलते हैं। अगर कौटिल्य या चाणक्य ने कोई सिद्धांत राज्य के लिए प्रतिपादित किया है उसका अर्थ यह है कि जो जहाँ का राजा है वे उसके अनुसार चले-पर इसका आशय यह कि जिसके हाथ में राज्य सता है वह उसके अनुसार चले।


हम ऊपर उनके जो दो सिद्धांत है उस पर विचार करें तो वह सब पर लागू होता है। पुरुष हो या स्त्री उन्हें अपने कार्यों को संपन्न करने के लिए कई जगह संधि या संबंध करने होते हैं। कौटिल्य का कहना है कि अपने से हीन पुरुष या स्त्री से संधि विश्वास योग्य नहीं होती और वह कभी भी धोखा दे सकता है। व्यापारिक समझौता हो या कोई और संबंध उस समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए। विवाह के समय भी इस बात का ध्यान रखना चहिये कि जीवन साथी मानसिक, वैचारिक और आर्थिक स्तर पर बराबरी का हो क्योंकि संधि या संबंध बराबरी पर ही होती है। जो इन क्षेत्रों में कमजोर होता है उसके मन में हीन भाव होता है और वह सदा इस फिराक में रहता है कि कब सामने वाला लड़खडाए तो मैं उसे अपनी उपस्थिति और महत्व का अहसास कराऊँ और कभी-कभी तो वह ऐसी योजनाएं बनाने लगता है कि उसके परेशान होने की स्थिति हो जाये। बैमेल समझोते और विवाह शुरूआती लाभ के बाद शक्तिशाली व्यक्ति के लिए बहुत कष्टकारी होते हैं और उसे पतन की गर्त मैं ले जाते हैं। अगर कोई व्यापारिक समझौता हो तो चुप बैठा जा सकता है पर विवाह मैं तो पुरुष हो या स्त्री उसका जीवन बरबाद हो जाता है। इस मामले में स्त्रियों को विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनकी विवाह बन्धन से मुक्ति बहुत आसान नहीं होती।

इसी तरह अपने से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति के साथ समझोता करना ठीक रहता है और उसके साथ विश्वास का निर्वाह करने का प्रयत्न करना चाहिए। जहाँ तक विवाह का सवाल है तो पुरुष को आर्थिक दृष्टि से थोडे कम या बराबर परिवार के स्त्री से विवाह करना चाहिए पर स्त्री को अपने से अधिक या बराबर या ऊंचे परिवार मैं विवाह करना चाहिऐ इससे समाज में सम्मान बना रहता है-आखिर विवाह किये तो समाज में अपने तथा अपने माता पिता का सम्मान बढाने के लिए ही जाते हैं- अगर समाज और माता-पिता को नहीं मानना तो फिर विवाह की पद्धति को मानने की भी जरूरत नहीं पड़ती, लोग ऐसे भी रह सकते हैं। जो लोग अपने वैवाहिक संबंधों से अपने माता-पिता का सम्मान गिराते हैं समाज में लोग उसका सम्मान बिलकुल नहीं करते सामने भले ही कोई नहीं कहता हो।

वैसे कहने को लोग भी कुछ कहते हैं पर हमारे पुराने मनीषियों ने अपने तत्कालीन समाज को दृष्टिगत रखते हुए ऐसे सिद्धांतों की रचना की जो उसके बदलते हुए स्वरूप में भी उपयोगी हों इस बात का ध्यान रखा। इसलिए जब मैं कौटिल्य या चाणक्य के विषय में लिखता हूँ तो कई पाठक मुझसे इसको जारी रखने का आग्रह करते हैं क्योंकि उनको आज भी यह सब प्रासंगिक लगते हैं। इसी तारतम्य में मैंने अपने विचार इसलिए प्रस्तुत किये ताकि उनके सिद्धांतों की आज के संबंध में व्याख्या की जा सके-क्योंकि मैं नारों और वाद में यकीन नहीं करता। मेरा मानना है कि जीवन जीने के कुछ नियन हैं जिन्हें कोइ नहीं बदल सकता चाहे वह देह के हों या मन के।

3 टिप्‍पणियां:

बालकिशन ने कहा…

ज्ञानवर्धन के लिए शुक्रिया. सीख को गांठ बाँधने की कोशिश करूंगा.

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

अति महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक पोस्ट , जानकारी देने हेतु धन्यबाद .

काकेश ने कहा…

ज्ञानवर्धक पोस्ट
मजा आया.

http://kakesh.com
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