और दिल हैं सोच के अँधेरे
वही अपनी ख़ुशी और रोशनी के लिए
दूसरो के घर जलाते हैं
शहर को वीरान बनाते हैं
तुम उन्हें नहीं रोक पाओगे
जब तक अपने दिल और दिमाग में
इरादों के चिराग नहीं जलाओगे
अगर अपनी खुदगर्जी और
जिन्दगी को खौफ के साए से
नहीं जीते तो उन्हें क्या हराओगे
जागो दोस्तो
सारे जहां में रोशनी करने के लिए
चिराग जलाना है
अपने सोच को अपने घर से
सारे जहाँ तक ले जाना है
हम क्यों हारे और मारे जाते है
हम क्यों हारे और मारे जाते है
हम पर क्यों
आग लगाने वाले
अंधे राज किये जाते हैं
क्यों न उन्हें हरा पाते हैं
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7 टिप्पणियां:
अच्छे भाव हैं, बधाई.
अच्छी रचना है। शुभकामनाएँ।
हिन्दी में गुड।
बहुत अच्छी अभीव्यक्ति और जोश
अगर अपनी खुदगर्जी और
जिन्दगी को खौफ के साए से
नहीं जीते तो उन्हें क्या हराओगे
जागो दोस्तो
सारे जहां में रोशनी करने के लिए
चिराग जलाना है
बधाई
सही कह रहे हैं आप !
घुघूती बासूती
बहुत सुन्दर भाव हैं।आज सभी को सोच को बढाने की ही जरूरत है।एक अच्छी कविता के लिए फिर बधाई।
बहुत अच्छी रचना है।
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