tag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post8827131231693197160..comments2023-08-05T15:28:50.345+05:30Comments on दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका: साहित्य आखिर होता क्या है-आलेख (article on hindi sahitya)dpkrajhttp://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-51646110172773902112009-08-21T21:49:06.280+05:302009-08-21T21:49:06.280+05:30इसमें कोई शक नहीं की हिंदी ब्लॉग जगत पे बहुत अच्छ...इसमें कोई शक नहीं की हिंदी ब्लॉग जगत पे बहुत अच्छा लिखा जा रहा है | और इसका स्वागत भी हो रहा है | पर पुरे ब्लॉग जगत को साहित्य नहीं कहा जा सकता | कई ऐसे लेखक हैं जो बेहतरीन लिख रहे हैं , और वो साहित्य का अंग अवश्य है | पर ७०-८० % कूडा करकट ही है | अब देखिये मैंने अपना केबल कनेक्शन कटवाकर टाटा स्काई ले लिया और आ गए ब्लॉग पे लेख लेकर क्या ये साहित्य है ?<br /><br />ब्लॉग पे यदि किसी लेखक तो थोडी प्रशंशा मिल जाती है तो वो अपने आप को बड़ा लेखक समझने लगता है | फिर कुछ भी लिखने लगते हैं और उनके followers भी जी हजूरी करने लग जाते हैं | क्या एक लेखक इस अंहकार मैं रह कर अच्छी रचना कर सकता है ?Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-84924756409317448602009-08-21T03:11:28.469+05:302009-08-21T03:11:28.469+05:30हाँ आपको अपने ब्लोग्स के लिंक देना तो भूल ही गया h...हाँ आपको अपने ब्लोग्स के लिंक देना तो भूल ही गया http://kavikokas.blogspot.com देख ले या बेहतर है गूगल सर्च से ढूँढ लें धन्यवादशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-17879417007197783872009-08-21T02:59:31.175+05:302009-08-21T02:59:31.175+05:30अभी कथादेश के मीडिया विशेषांक मे सुभाष धूलिया का ल...अभी कथादेश के मीडिया विशेषांक मे सुभाष धूलिया का लेख विभाजित समाज विखंडित मीडिया पढ़ रहा था उसीके तारतम्य मे आपका यह आलेख पढ़ा । वस्तुस्थिति यही है कि ब्लॉग मे लिखा साहित्य नही है इस बात को हवा वे ही दे रहे है जिन्हे इस माध्यम से खतरा महसूस हो रहा है । लेकिन इस बात को झुठलाने के लिये ब्लॉग लेखकों को निरंतर अच्छा साहित्य लिखना होगा । हाँलाकि सभी साहित्यिक पत्रिकाओं मे भी अच्छा साहित्य नही होता ( यहाँ अन्य पत्रिकाओ की बात मै नही कर रहा हूँ ) ब्लॉग एक माध्यम है और यहाँ लेखक ही सम्पादक है और लेखक ही आलोचक है । अत: इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि हम क्या प्रस्तुत करने जा रहे है । जो वरिष्ठ लेखक हैं उन्हे इस बात के लिये प्रेरित करना कि वे ब्लॉग मे लिखें, व्यर्थ है । और इससे कोई लाभ भी नही है । लेकिन युवा लेखक इस ओर आकृष्ट हो रहे है यह अच्छी बात है । हाँ इसके लिये मेहनत तो करनी होगी और तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त करना होगा । मैने भी यही किया है । एक कविता संग्रह,पहलपुस्तिका मे लम्बी कविता "पुरातत्ववेत्ता" और देश की लगभग 50 साहित्यिक पत्रिकाओं में कविता समीक्षा आदि के प्रकाशन के बाद अभी 4 माह पूर्व ही मैं अंतर्जाल की इस दुनिया से जुड़ा हूँ ।और फिलहाल स्वयं के 5 ब्लॉग्स पर और 2 सामूहिक ब्लॉग्स पर निरंतर लिख रहा हूँ । पत्रिकाओं मे कविता भेजना भी जारी है । मित्रों को विश्वास नही होता क्योंकि 4 माह पूर्व न मेरे पास कम्प्यूटर था न मै टाइपिंग जानता था न मैने कोई ब्लॉग देखा था । मैने रात रात भर जाग कर और हिन्दी ब्लॉग टिप्स जैसे ब्लॉग पढ-कर यह ज्ञान प्राप्त किया । आप चाहें तो मेरा उदाहरण दे सकते हैं लेकिन निवेदन है कि पहले मेरे ब्लॉग्स देख लें ताकि आपको भी यकीन आ जाये । इस प्रयास में मै आपके साथ हूँ -<b>शरद कोकास</b>शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.com