tag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post5609431254397343134..comments2023-08-05T15:28:50.345+05:30Comments on दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका: चाणक्य नीति:धन कमाने वाला विद्वान् समाज के लिए उपयोगी नहींdpkrajhttp://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-2111994671052164292012-10-10T16:02:04.163+05:302012-10-10T16:02:04.163+05:30मैं ये सोच रहा था वामपंथ से प्रेरित इस लेख में कही...मैं ये सोच रहा था वामपंथ से प्रेरित इस लेख में कहीं भी एक शब्द तक उन मौलवियों के बारे में नहीं लिखा गया जो रोज कसब और अजमल बनाते हैं. ये हिन्दू धर्माचार्यों को देख कर ही सारे स्वयंभू सुधारकों के पेट में काहे मरोड़ उठती है? ?? ये एक शोध का विषय है. आचार्य चाणक्य ने कहा था जब तुम्हे अपनी परंपरा में खोट नजर आने लगे तो जान लेना चाहिए की तुम्हारा अन्तकाल निकट ही है. और रह गए स्कूली टीचर तो मियाँ आजकल अधिकतर स्कूल टीचर मिड डे मील में कमीशन खाने वाले सरकारी आदमी भर रह गए हैं.<br /> open ur eyes if possibledalip tripathihttps://www.blogger.com/profile/00317600065445670795noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-16423753258992237192008-08-21T09:14:00.000+05:302008-08-21T09:14:00.000+05:30वह करेंगे भी तो उसका प्रभाव नहीं होगा क्योंकि जिस ...वह करेंगे भी तो उसका प्रभाव नहीं होगा क्योंकि जिस भाव से वह दूर है वह हममें कैसे हो सकता है।<BR/>एक असीम शांती प्रदान करने वाली रचना, सच् को सार्थक करता लेख "<BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-80546991363400408042008-08-21T09:12:00.000+05:302008-08-21T09:12:00.000+05:30Bahut hi ache vichar lage aapke. Kabhi pahele aapk...Bahut hi ache vichar lage aapke. Kabhi pahele aapke blog par padne ka su absar nahi mila par aaj pada to laga jaise kismat ne haath main ek ache vicharo ki potri de di ho.<BR/><BR/>Namaskar!<BR/>Saurabhसौरभ कुदेशियाhttps://www.blogger.com/profile/04558758968386273265noreply@blogger.com