tag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post2438554532992913690..comments2023-08-05T15:28:50.345+05:30Comments on दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका: पहले अपने को बचाईयेdpkrajhttp://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-73247532009290414372007-12-13T20:32:00.000+05:302007-12-13T20:32:00.000+05:30बिल्कुल सही लिखा ;आज कल ऐसा ही होता हैबिल्कुल सही लिखा ;आज कल ऐसा ही होता हैUnknownhttps://www.blogger.com/profile/12956830239854115242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-60957527183589802252007-12-13T14:55:00.000+05:302007-12-13T14:55:00.000+05:30बहुत सुंदर और सारगर्भित कविता , समाज की व्यवस्था प...बहुत सुंदर और सारगर्भित कविता , समाज की व्यवस्था पर करारा व्यंग्य , सुख को आपने बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है , बधाईयाँ !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.com