tag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post1576175450995290148..comments2023-08-05T15:28:50.345+05:30Comments on दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका: आजादी की चाहतdpkrajhttp://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6344675089904458804.post-62910410089179829322008-01-16T21:20:00.000+05:302008-01-16T21:20:00.000+05:30सच्चाई से रुबरू करती आपकी कविता....मृग तृष्णा के प...सच्चाई से रुबरू करती आपकी कविता....<BR/>मृग तृष्णा के पीछे भागता है हर इनसान...<BR/>बहुत कुछ पाने के बाद भी और पाने की चाह खत्म नहीं होती....<BR/>लालच ही ऐसा है कि सुरसा के मुँह की तरह बढता ही जाता है ....राजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.com