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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

5/27/2015

पहले पटकथा फिर स्पर्धा-हिन्दी कविता(pahale patakatha fir spardha-hindi poem)

मनोरंजन के व्यापार में
खेल स्पर्धायें भी
फिल्मी पटकथा की तरह
लिखकर खेली जाती हैं।

कहीं होता सट्टा
कहीं होता दिखावे का रट्टा
आम इंसान के दिल में
खिलाड़ियों की हर अदा
सच की तरह झेली जाती हैं।

कहें दीपक बापू बिसात पर
शतरंज की चालों पर
अब कौन ध्यान देता है
संगीत और नृत्य से
मंत्रमुग्ध होने वालों की अक्ल
गेंद और बल्ले के बीच
ठेली जाती है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश

Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh


वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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3 टिप्‍पणियां:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28-05-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1989 में दिया गया है
धन्यवाद

रश्मि शर्मा ने कहा…

बढ़ि‍या लि‍खा

dpkraj ने कहा…


चर्चा मंच में यह रचना प्रकाशन के लिए धन्यवाद

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